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Dr. TR. Yadav (For the best paediatric services)

Antibiotic Medicine

एंटीबायोटिक दवा एक दो धारी तलवार

हमारे देश में एंटीबायोटिक दवा को लेकर के आम जनमानस में बहुत भ्रम है, ऐसे में बच्चों के डॉक्टरों का एसोसिएशन लखनऊ अकैडमी आफ पीडियाट्रिक्स 1 हफ्ते से एंटीबायोटिक जन जागरूकता अभियान छेड़ रखा है।


एसोसिएशन के डॉक्टर टी आर यादव ने बताया की शरीर में बुखार से लेकर कोई भी तकलीफ हो तो लोग फौरन एंटीबायोटिक दवा ले लेते हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ आम जनमानस में यह भी विश्वास है कि एंटीबायोटिक दवा या कोई भी एलोपैथिक दवा बहुत गर्म होती है और इसको कभी नहीं लेना चाहिए अति आवश्यक हो तो होम्योपैथिक या आयुर्वेदिक दवा ले लेना चाहिए हालांकि ऐसे लोगों की संख्या कम ही है इन बातों को लेकर जब डॉक्टर यादव जी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह दोनों विश्वास तथ्य से परे हैं उन्होंने बताया कि इस पृथ्वी पर सर्वप्रथम ऐसे कीटाणु व जीवाणुओं का जन्म हुआ जिन्होंने धीरे-धीरे ऑक्सीजन पैदा किया और जब ऑक्सीजन प्रचुर मात्रा में पृथ्वी पर उपलब्ध हो गई तब मानव का जन्म संभव हो पाया कहने का तात्पर्य है कि जीवाणु कीटाणु इस पृथ्वी पर हमसे भी पहले से ही उपस्थित हैं।अतः यह सोचना कि हम जीवाणुओं और कीटाणुओं को नष्ट करके जीवाणु मुक्त शरीर कर सकते हैं तो यह बहुत बड़ी भूल है दूसरा रोचक जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि हमारी शरीर में लगभग 2 किलोग्राम बैक्टीरिया होते हैं जो कि हमारे नाक व मुंह से शुरू होकर गुदाद्वार तक पाए जाते हैं यह बैक्टीरिया हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बढ़ाते हैं अतः सीधे शब्दों में कह सकते हैं कि हमें बीमार होने से बचाते हैं तीसरा रोचक तथ्य बताते हुए उन्होंने कहा कि जब भी हमारे शरीर में कोई भी बाहरी तत्व जाता है तो हमारी शरीर का सेंसर तुरंत सक्रिय होकर शरीर का तापमान बढ़ा कर उस तत्व को नष्ट करने का प्रयास करता है यानी हम यह कह सकते हैं कि बुखार इस बात का सिग्नल है कि हमारे शरीर में कोई बाहरी तत्व जो कि बैक्टीरिया वायरस फंगस या अन्य पदार्थ हो सकता है प्रवेश कर गया है हम यह भी कह सकते हैं कि बुखार हमारी शरीर को नुकसान ना पहुंचा कर डॉक्टर के लिए एक रेड सिगनल का काम करता है फिर डॉक्टर ही निश्चित कर पाते हैं कि शरीर में किस प्रकार का जीवाणु या तत्व प्रवेश किया है इस बात से यह स्पष्ट हो गया कि आपके डॉक्टर द्वारा दी गई एंटीबायोटिक दवा हमेशा हर तरह के बुखार में काम नहीं कर सकता है जब भी डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक दवा दे तो आप यह अवश्य पूछें कि दवा कितने दिन तक लेनी है क्योंकि एंटीबायोटिक दवाइयों को कम समय तक लेने से हमारे शरीर के अंदर जो कीटाणु होते हैं वह एंटीबायोटिक दवा के प्रति( रजिस्टेंस )प्रतिरोधक हो जाते हैं जिसकी वजह से वही दवा भविष्य में हमारे लिए प्रभावहीन हो जाती है और हमारी सामान्य सी बीमारी इतना बढ़ जाता है कि हमारे मृत्यु का कारण बन सकता है अतः एंटीबायोटिक दवा एक दो धारी तलवार है इसको लेने से पहले इसका उपयोग भली भांति जान लें और बिना डॉक्टरी सलाह के इसको कदापि ना ले और जब आपके डॉक्टर द्वारा एंटीबायोटिक लेने की सलाह दी जाए तो आप उसकी मात्रा और उसको कितने दिनों तक लेना है अवश्य जान ले और उतने समय तक अवश्य लें जो लोग यह समझते हैं की एंटीबायोटिक दवा कभी नहीं लेना चाहिए उनको सचेत करते हुए डॉ टी आर यादव ने बताया कि आधुनिक विज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया है कि ज्यादातर बीमारी का कारण कोई ना कोई बैक्टीरिया, वायरस या फंगस होता है और बहुत ही कुछ मामलों में बीमारी का कारण ऑटोइम्यून डिजीज या कैंसर भी हो सकता है अतः एंटीबायोटिक सलाह देने के बावजूद यदि न लिया जाए तो वह भी हमारे लिए मृत्यु का कारण हो सकता है इसीलिए एंटीबायोटिक दवा एक दो धारी तलवार है इसको जाने अपने डॉक्टर से समझें और इसको डॉक्टरी सलाह के बाद ही लें.



डॉ टीआर यादव

MBBS, MD - Pediatrics